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Tuesday, October 22, 2019

हवा के झकोरों...

 जलें दीप, फूल महकें,
चमन इस तरह सजा दो।
मैं बहार तोड़ लाऊं,
तुम ज़रा मुस्कुरादो।

ऐ हवा के झकोरों,
कहां आग लेकर निकले?
मेरा गांव बस सके तो, 
मेरी झोपड़ी जला दो।

जो दिलों को भेद दें,
उन सरहदों को मिटा दो।
कि हर तरफ चहचहाए ज़िंदगी,
फिज़ा इस तरह सजा दो।

अपनी दहकती हुई आग से,
मोहब्बत-ए-शम्मा जला दो।
मेरा गांव बस सके तो मेरी झोपड़ी जला दो
मेरा गांव बस सके तो मेरी झोपड़ी जला दो।।
                            - Mahira💝

3 comments:

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