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Tuesday, September 24, 2019

धूप सा 🌄

तू रोशन सा एक जहां बना,🌏
और भरदे उसमें एक नूर सा।
तू अंधेरों में सफर क्यों करता है मुसाफ़िर?
तू ही बनजा कुछ धूप सा।

तू बनजा किसी की शम्मा,
तू बनजा रोशनी का एक रूप सा।
तू अंधेरों को चीर दे,
और बनजा सुनहरी धूप सा।

वो भी क्या जिंदगी होगी,
जिसमे होगा न कुछ गुरूर सा।
रोशनी एक हर ओर होगी,
और जहां में होगा एक नूर सा।।



Sunday, September 8, 2019

मेरी मां

मां....👩‍❤️‍👩
ईश्वर ने एक मूरत बनाई,
नाम रखा उसका मां।
कहुं क्या उसके बारे में,
नहीं है ये आसां।

चोट लगती है जब मुझे,
दर्द उसे होता है।
न हो कुछ मेरे साथ अच्छा,
तो दिल उसका रोता है।

सुना बहुत से लोगों से ,
मैनें है कई बार।
आ नहीं सकता था ईश्वर,
सभी के लिए हर बार।
उसने की एक ख़ूबसूरत रचना,
और दे दिया उसे मां का करार।

मां सभी की सच्ची सहेली,
उसकी भांति कोई नहीं।
हर राह में वो मेरे साथ रहे,
चाहे मुझे जाना हो कहीं।

सब कुछ दिया ईश्वर ने उसे,
जिसे दिया मां का प्यार।
अक्सर सोचती हूं मैं ;ये,
समझता क्यों नहीं ये संसार?

जो प्यासे को झरना बन,
शीतल जल पिलाती है।
धूप में छाया बन खड़ी रहे,
वही तो मां कहलाती है।।



Saturday, September 7, 2019

ज़िंदगी औरत की



जननी ब्रह्मांड की,
संतुलन संसार का। 
साहिल है भटके का,
और किनारा मझधार का


वो प्रकृति है खिली हुई सी,
रंग ज़िन्दगी की बहार का 
कैसी अतुलनीय रचना है खुदा की 
औरत बाग़ है गुलज़ार सा......