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Sunday, September 17, 2023

कुछ कह रही तू ज़िंदगी





कुछ कह रही तू ज़िंदगी,
क्या...मैं समझ पाऊं ना।
नदी सी बह रही तू ज़िंदगी,
तुझ सा तेज़ चल पाऊं ना।

मेरी बंद आंखें सपने देखें,
तेरी बाहों में बाहें डाल चलने के।
पर ये दिल नादान ढूंढ लेता है बहाने,
बेचैन होकर मचलने के।
तू इरादे अपने मुझे समझा दे,
तब इस दिल को मैं समझाऊं ना।
कुछ कह रही तू ज़िंदगी,
क्या... मैं समझ पाऊं ना।

बचपन रंग सीखने में बिताया,
अब इन रंगों से भरे सपने बुन रहे।
कभी किये इरादे कुछ राहों पर चलने के,
और अब देखो किन राहों को चुन रहे।
ज़रा नाम बता उस किताब का जिससे पढ़े तू कहानियाँ,
अपने मन को वही किताब मैं भी पढ़ाऊं ना।
कुछ कह रही तू ज़िंदगी,
क्या... मैं समझ पाऊं ना।


Wednesday, September 6, 2023

जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण की जीवन‌ गाथा कविता में बताने का प्रयास✨



आज फिर उत्सव की बेला बन आई।
अपने धाम से कृष्णावतार में पालकी नारायण की आई।
मध्यरात्रि के अँधेरे आज फिर रोशन होंगे।
सृष्टि में धर्म व सौहार्द के दीप फिर जग मग होंगे।
मनुष्य जीवन की प्रत्येक भूमिका,
जिन्होंने सकुशल निभायी।
मित्रता न देखती धन समृद्धि,
मित्र की भावना देखनी सिखाई।
जिनका युद्ध-कौशल है सर्व प्रथम,
पर साथ चले बनकर सारथी.
जिनकी वाणी मात्र ने धनंजय को साहस दिया,
आज गाएंगे सभी परस्पर ऐसे कृष्ण की आरती।
चले कर्तव्य के मार्ग पे,
प्रीत राधा की मन में रखकर.
सोचने भर से पुन: लिख सकते थे हर कहानी,
नियति के खेल को नहीं बदला पर।
मोह त्याग कर वृंदावन का,
देवकी वसुदेव को मुक्ति दिलायी।
जन्म लेकर महलों में,
गोपियों व ग्वालों के लिए मुरली बजाई।
रक्षा के लिए सृष्टि की,
जिन्होनें स्व-कुल का नाश किया।
पहले अपराध पर रोकने में सक्षम होकर,
शिशुपाल के सौ अपराधों को माफ़ किया।
वो उदाहरण है संपूर्ण कर्तव्य निर्वहन का,
स्वयं धरती माँ भी उनकी आभारी है।
त्रिलोकीनाथ होकर एक पुकार में आएं,
ऐसे कृष्ण मुरारी हैं।