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Wednesday, June 3, 2020

कुछ पलों की आज़ादियां

बेकैद सा होने को जी चाहता है,
चलो एक बार आसमान में चलें।
एक बार वक्त को पीछे धकेल कर
फ़ुरसतों से भरे बचपन से जा मिलें।
जो रह गई हसरतें, पूरी करने,
जो अधूरे रह गए खेल,
उन्हें खत्म करने।
जो छोड़ गई हमें पलक झपकते,
उन खुशियों का हाल जानने को जी चाहता है।
काट कर ये उम्र की बेड़ियां,
कुछ पलों के लिए फिर आज़ाद होने को जी चाहता है।
घर के आंगन में दौड़ने की,
ख़्वाहिश आज फिर जागी है।
जो कच्चे रास्ते हम पीछे छोड़ आए,
उस ओर आज यादें फिर से भागी हैं।
उन रास्तों की मिट्टी में मस्त होकर,
खेलने को जी चाहता है।
कुछ पलों के लिए फिर आज़ाद होने को जी चाहता है।
उन महकती हुई हवाओं को एक बार
महसूस करने को जी चाहता है।
उन कुछ पलों की आज़ादियों से,
फिर रूबरू होने को जी चाहता है।
                       -Mahira💝

6 comments:

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