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Friday, September 25, 2020

प्रतिस्पर्धा

प्रतिस्पर्धा है दौड़ने की,
दौड़ना होगा बहुत तेज़,
जो रह जाएं पीछे, उन्हें आगे बढ़ने की उम्मीद न रह जाए।
ये दुनिया भी दौड़ रही हैं अपने रास्ते पर,
तुम भी दौड़ो ज़रा दोस्तों, कि कहीं हमसे पीछे रहने वाले आगे न निकल जाएं।

प्रतिस्पर्धा है जीतने की,
जीतना तो पड़ेगा ही।
जो हार जाएंगे, उन्हें फिर उठने की आस न रह जाए।
ये दुनिया जीतने वालोें से भरी है,
तुम भी जीत जाना ज़रा।
जो हार गए तो हार तुम्हारी, हौसले तुम्हारे तोड़ न जाए।

प्रतिस्पर्धा ही तो बन गई है ज़िंदगी,
भागते हैं सब कि पीछे न रह जाएं।
पर ज़िंदगी प्रतिस्पर्धा नहीं, एक खूबसूरत सफर है,
इस सफर का मज़ा लेते चलो,
पता नहीं कब दौड़ते भागते,
ये सफर खत्म हो जाए।।

1 comment:

  1. जीतने की इस अनंत चाहत में,
    भूल गए हैं की कौन हैं हम, और कौन हो तुम।

    दूसरों को पीछे छोड़ते-छोड़ते,
    इस प्रतिस्पर्धा में कहीं हो गए है गुम।

    इस दौड़ में जो हमसफर पीछे छूट गए,
    अब तो उनकी गैरमौजूदगी का भी नही होता गम।

    तुम भी जीत जाना ज़रा इस प्रतिस्पर्धा में,
    "क्यूं?" पूछा तुमने,

    क्योंकि यदि तुम्हें पीछे छोड़ के जीत गए, फिर क्या ही जीते हम ।।


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