कुछ कह रही तू ज़िंदगी,
क्या...मैं समझ पाऊं ना।
नदी सी बह रही तू ज़िंदगी,
तुझ सा तेज़ चल पाऊं ना।
क्या...मैं समझ पाऊं ना।
नदी सी बह रही तू ज़िंदगी,
तुझ सा तेज़ चल पाऊं ना।
मेरी बंद आंखें सपने देखें,
तेरी बाहों में बाहें डाल चलने के।
पर ये दिल नादान ढूंढ लेता है बहाने,
बेचैन होकर मचलने के।
तू इरादे अपने मुझे समझा दे,
तब इस दिल को मैं समझाऊं ना।
कुछ कह रही तू ज़िंदगी,
क्या... मैं समझ पाऊं ना।
तेरी बाहों में बाहें डाल चलने के।
पर ये दिल नादान ढूंढ लेता है बहाने,
बेचैन होकर मचलने के।
तू इरादे अपने मुझे समझा दे,
तब इस दिल को मैं समझाऊं ना।
कुछ कह रही तू ज़िंदगी,
क्या... मैं समझ पाऊं ना।
बचपन रंग सीखने में बिताया,
अब इन रंगों से भरे सपने बुन रहे।
कभी किये इरादे कुछ राहों पर चलने के,
और अब देखो किन राहों को चुन रहे।
ज़रा नाम बता उस किताब का जिससे पढ़े तू कहानियाँ,
अपने मन को वही किताब मैं भी पढ़ाऊं ना।
कुछ कह रही तू ज़िंदगी,
क्या... मैं समझ पाऊं ना।
अब इन रंगों से भरे सपने बुन रहे।
कभी किये इरादे कुछ राहों पर चलने के,
और अब देखो किन राहों को चुन रहे।
ज़रा नाम बता उस किताब का जिससे पढ़े तू कहानियाँ,
अपने मन को वही किताब मैं भी पढ़ाऊं ना।
कुछ कह रही तू ज़िंदगी,
क्या... मैं समझ पाऊं ना।
Best 👍💯
ReplyDeleteThank you for writing this quality informational content very good. Your writing technique is impressive and enjoyable to read. If you want Custom
ReplyDeleteCustom made Pierre Cardin pen then visit us.