मां....👩❤️👩
ईश्वर ने एक मूरत बनाई,
नाम रखा उसका मां।
कहुं क्या उसके बारे में,
नहीं है ये आसां।
चोट लगती है जब मुझे,
दर्द उसे होता है।
न हो कुछ मेरे साथ अच्छा,
तो दिल उसका रोता है।
सुना बहुत से लोगों से ,
मैनें है कई बार।
आ नहीं सकता था ईश्वर,
सभी के लिए हर बार।
उसने की एक ख़ूबसूरत रचना,
और दे दिया उसे मां का करार।
मां सभी की सच्ची सहेली,
उसकी भांति कोई नहीं।
हर राह में वो मेरे साथ रहे,
चाहे मुझे जाना हो कहीं।
सब कुछ दिया ईश्वर ने उसे,
जिसे दिया मां का प्यार।
अक्सर सोचती हूं मैं ;ये,
समझता क्यों नहीं ये संसार?
जो प्यासे को झरना बन,
शीतल जल पिलाती है।
धूप में छाया बन खड़ी रहे,
वही तो मां कहलाती है।।
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