तू रोशन सा एक जहां बना,🌏
और भरदे उसमें एक नूर सा।
तू अंधेरों में सफर क्यों करता है मुसाफ़िर?
तू ही बनजा कुछ धूप सा।
तू बनजा किसी की शम्मा,
तू बनजा रोशनी का एक रूप सा।
तू अंधेरों को चीर दे,
और बनजा सुनहरी धूप सा।
वो भी क्या जिंदगी होगी,
जिसमे होगा न कुछ गुरूर सा।
रोशनी एक हर ओर होगी,
और जहां में होगा एक नूर सा।।
वो भी क्या जिंदगी होगी,
जिसमे होगा न कुछ गुरूर सा।
रोशनी एक हर ओर होगी,
और जहां में होगा एक नूर सा।।